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लॉंग ड्राइव….. काफ़ी खूबसूरत सफ़र, जिसमें मंज़िल वही है, जहा से सफर शुरू किया, ना रास्ते की परवाह, ना वक़्त की बंदिश वैसे ज्यादा अनुभव नहीं है लॉंग ड्राइव का, क्या करे साथ में कोई जाने के लिए…. वो भी नहीं है, सब दोस्त दूर है, तन्वी पास है पर , उनमें अनु सी बात नहीं ।

अनु, अनन्या,… ऑफिस में साथ में थे एकदम बिंदास मुझे जैसी पसंद, बिल्कुल वैसी…. हेल्दी, बड़ी आँखों वाली, प्यारी आवाज़ वाली और दिल की साफ मतलब मुझ जैसे बन्दे को इतना ही चाहिए । वैसे मैंने कभी कहा नहीं उसको, पर शायद प्यार हो रहा था उससे।

4 साल पहले, एक शाम की बात है मैं और अनु रोज़ की तरह ऑफिस से निकले बातें की काफ़ी देर फिर उसने बाय किया मैंने बोला “रुक ना”
वो बोली “क्यों”

मैं : बर्थडे है मेरा
(वैसे मेरा बर्थडे नहीं था)

अनु : ओह, हैप्पी बर्थडे …

मैं :” थैंक यू सो मच “
” अच्छा सुन ना “, लॉंग ड्राइवपर चले?”

अनु:” मैं कैसे??? “

मैं : भरोसा है ना??

अनु : ” हां, पूरा भरोसा है “

मैं :” तो चल”

” फ़िर हम दोनों ने गाड़ी मँगवाई”

मैं कार चला रहा था, हम कुछ दूर गए, कि अचानक बारिश शुरू हो गई, वैसे मुझे बारिश बिल्कुल पसन्द नहीं थी, अब भी नहीं बस भीगना अच्छा लगता है पर उस बारिश में कुछ खास था, जब वो साथ थी, ऐसा मन कर रहा था, बस देखता रहूं उसको ठण्डी हवाओं के कारण उसकी जुल्फे उसके चेहरे को ढक रही थी, मुझे उन जुल्फों से जलन होने लगी कि वो जुल्फे अनु को छु रही थी । मन किया बोल दु बाल बाँधे, पर खुले बालो में खूबसूरती बढ़ जाती है तो बोला नहीं, बस देखता रहा उसे…. तभी उसने गाड़ी रूकवायी और बोली

” यार भुट्टा खाते ना”

मैं : बिल्कुल चल (वैसे भी मुझे भुट्टा काफ़ी पसंद है)

हम दोनों ने भुट्टा खाया, फिर चल पड़े

रास्ते में वो गुनगुना रही थी “आज मौसम बड़ा बेईमान है” और रफ़ी साहब का वो गाना उस दिन से कुछ ज्यादा ही अच्छा लगने लगा “

हम लोगों को घूमते हुए 10 km हो गए, रास्ते भर मैं कुछ बोला नहीं, वो बोलती रही गाती रही, मैं खो गया था, जाने कहां….. पता नहीं…. बस खो गया था शायद उसकी आवाज़ में, या बातों में पता नहीं बस खो गया था और ऐसा खोया था कि खुद को पाना नहीं चाहता था, चाह रहा था खोया रहूं, उसके बाहों में सोया रहूं।

काफ़ी वक़्त हो गया था, रात भी हो रही थी तो तय हुआ कि उसको उसके घर पर छोड़ देते है तो हम आने लगे तभी उसने पूछा “तू सिंगल क्यों है!??”

मैं : “क्या करे, दिल आता नहीं, टाइमपास करना नहीं ” ” तू बता”

अनु : “सेम प्रॉब्लम “

मैं : “अच्छा सुन, कुछ confess करना था”
अनु : “हां पता है, तेरा birthday नहीं है”

मैं : ” फिर तूने बताया क्यों नहीं कि तुझे पता है”

अनु : ” बस यूं ही, मासूमियत वाला झूठ अच्छा लगा”
“मैंने सोचा propose करेगा, पर तू तो पता नहीं कहा था”

मैं :”तेरी आवाज़ में खो गया था यार “
अनु :” अच्छा, ऐसा क्या है मेरी आवाज़ में??? “

मैं:” जादू, तेरी आवाज़ मैं सारा दिन सुन सकता हूं “” तेरे साथ हमेशा वक़्त बिता सकता हूं “

” मिस अनन्या I love you, मेरी बनेगी? हमेशा के लिए”

अनु : ” ये तो कब से सुनना चाहती थी ” I love you too

कार में ही हम दोनों ने एक दूसरे को गले लगा लिया, अंधेरा था सिर्फ मैं और वो थे, हम एक दूसरे की गर्म सांसे मेहसूस कर रहे थे, धीरे धीरे दोनों के लब मिल गए उस दिन के बाद से मुझे उसकी लिपस्टिक का taste दुनिया में सबसे tasty लगने लगा 1 घन्टा हम कार में बैठे रहे एक दूसरे की आँखों में खोए रहे।

कुछ दिनों बाद मुझे कंपनी छोड़ना पड़ा, मैं अपने घर आ गया उसका कॉल आया कि उसकी शादी फिक्स हो गई, उसने उसके पापा को समझाया, पर वो माने नहीं…. और उसकी शादी करवा दी, मेरे घरवालों ने भी मेरी शादी फिक्स कर दी , तन्वी और मैं काफी खुश थे रिश्ते से पर अनु दिल से गई नहीं।

अनु और मैं अब भी अच्छे दोस्त है, बात होती है हमारी बस मुलाकात नहीं हो पाती। या यूं कहो कि मैं करना नहीं चाहता….
कई बार जब उसके शहर जाने का काम पड़ा उसने घर बुलाया मैंने बहाना बना दिया, ये सोचकर कि कहीं उसको देखकर तन्वी के लिए प्यार कम ना हो जाए, कहीं उसी में खो ना जाऊँ, कहीं उसकी बातें याद ना करने लगु , कई बार दिखी पर मैंने देख के भी अनदेखा कर दिया….. इसलिए नहीं कि तन्वी थी साथ में, पर इसलिए कि उस ज़िन्दगी की long drive में कहीं ना कहीं मुझे रस्ता और मंज़िल मिल चुकी थी और मैं शुरुआती मोड़ पर जाना नहीं चाहता था । क्योंकि पहली मोहब्बत तो पहली ही होती है ना ….. ।

“ये सब कुछ रोहन ने अपनी डायरी में लिख रखा था जिसे पढ़कर तन्वी भी रोने लगी, रोहन को उसने गले से लगा लिया, दोनों का प्यार ज्यादा बढ़ गया, रोहन को लगा कि तन्वी नाराज़ हो जाएगी, पर तन्वी ने उसे सम्भाला और बोली “thanks for always being with me”।

– By Sawan Sharma

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