आज विद्यालय में समारोह था इसलि ए प्रभा सबुह से तैयारी मेंलगी थी। जल्दी-जल्दी नाश्ता की और
विद्यालय की ओर चलनेही वाली थी पीछे से राम्या ( प्रभा की माँ) जोर सेचि ल्लातेहुए प्रभा पूरा नाश्ता तो
कर ले बेटा। तभी प्रभा “नहींमाँदेर हो जाएगी”, बोलतेहैऔर चल पड़ती है। ( प्रभा के पि ता ) हरि दास जानेदो
उसेवह अपना ख्याल रख सकती है।
विद्यालय में आज अधिकारी अफसर आने वाले थे, सभी बच्चे पूरी तैयारी कर के आए थे। अधिकारी अफसर
के समक्ष विद्यालय की ओर से एक आई क्यूप्रति योगि ता रखी गई थी। सभी बच्चे अपनी अपनी तैयारी कर के
आए थे, प्रभा भी अपनी तैयारी करके आई थी।
प्रभा बचपन सेही बहुत होशि यार व समझदार लड़की थी, वह आत्मवि श्वसी थी। कुछ समय बाद अधिकारी
अफसर आ गए समारोह बहुत धमू धाम सेहुआ। समारोह में प्रतियोगिता में सभी प्रतिभागियों ने अपना बहुत
अच्छा प्रदर्शनर्श किया और प्रभा ने अपना बेस्ट दिया और प्रथम स्थान प्राप्त किया । अधिकारी ने भी प्रभा का
आत्मविश्वास बढ़ाया और पँछू कि तमु भविष्य में क्या बनना चाहती हो, बेटा ?
तभी प्रभा ( थोड़ी शांत भाव से) नेकहा मेम मैंआप की तरह एक अफसर बनना चाहती हूँ जिससे मेरे माता-
पिता का जो सपना है उसे पूरा कर सकूँ। अधिकारी ने कहा कि बेटा तमु से आत्मविश्वास की कमी नहीं है और
हर इंसान में अगर आत्मविश्वास भरा हो तो वह इंसान चाँद पर भी जा सकता है। बस ऐसे ही आगे बढ़ो और
सदा खशु रहो।
शाम को प्रभा वि द्यालय सेघर पहुँच कर सारी बातेंराम्या और हरि दास को बताती है।
कुछ वर्ष बाद प्रभा एक विद्यालय के अध्यापि का के रूप में कार्य करती है। तब एक ईशान नाम के लड़के से प्रेम
करने लगती है। ईशान एक शांत स्वभाव का लड़का है और वह अपने परि वार का छोटा बेटा है। ईशान अमीर
परि वार सेथा ईशान भी प्रभा की तरह पढ़ा लि खा था। वह कॉलेज का प्रोफेसर था। ईशान भी प्रभा सेप्रेम करता
था।
कुछ महीनों बाद प्रभा और ईशान दोनों ही शादी के बधं न में बँध गए। ईशान एक अमीर परिवार से था और
प्रभा के घर वाले मध्यम वर्ग के ईशान के परिवार में सभी शिक्षित थे।
कुछ वर्ष बाद प्रभा नेएक बालक को जन्म दिया तभी प्रभा के माता-पिता की हालत धीरे-धीरे खराब होने लगी ।
एक शाम की बात है, प्रभा के नाम एक टेलीग्राम आता हैं, जिसमें उसके पिता की हालत बहुत खराब है, और
वे हॉस्पिटल में एडमिट है, करके लिखा होता है। प्रभा जल्दबाजी में किसी को खबर किए बिना चली जाती है।
जब वह वापस अपने ससरुाल घर आती है, तब उसके घर वाले कहते है कि जा चली जा। अपने माँ बाप के पास
ही यहाँ क्या लेने आई है?
ईशान भी कुछ नहीं कहता, तब प्रभा कहती है, मेरे पिताजी की तबि यत बहुत खराब थी। उनका मेरे अलावा कोई नहीं है,जो उनकी देखभाल कर सके इसलि ए मैंउनकी देखभाल करुँगी और उन्हें अपने साथ रखूंगी। तब प्रभा की सास कहती है, यह घर तेरे बाप का नहीं हैं,यह तरेा ससरुाल है, आज तुझे यह फैसला करना ही होगा तुझे अपने माँ बाप के साथ रहना हैया अपने पति ,बच्चे और ससरुाल वालों के साथ। आज तूफैसला कर ही दे। तब प्रभा अपनी पति ईशान की तरफ देखती हैं,लेकिन ईशान कुछ भी नहीं कहता चुप चाप खड़ा रहता है। तभी प्रभा कहती है कि आप भी एक औरत है आप मेरी तकलीफ क्यों नहीं समझ रही।
मैं अपने पति बच्चे से दूर कैसे रह सकती हूँ ना हीं अपने माँ बाप को इस हालत में छोड़ सकती हूँ जिन्होंने मुझे जन्म दिया है मुझे जिदंगी दी मै उन्हें नहीं छोड़ सकती। तभी उसकी सास कहती है, जा तो चली जा लेकिन सोच ले एक बार चली गई तो दोबारा इस घर मेंलौट कर मत आना। प्रभा अपनेपति व बच्चेका हाथ पकड़ती है और कहती हैं चलो आप भी मेरे साथ तो उसके ससरुाल वाले कहते हैं मेरा बेटा और सरूज ( जो 6 वर्ष का रहता है,प्रभा का बेटा ) तरेे साथ नहीं जाएँगे प्रभा अपने पति से कहती हैं, आप चपु क्यों हैंकुछ तो बोलिए तब ईशान कहता हैं, मैंतम्ुहारेसाथ नहीं चल सकता बड़े भैया लदंन में रहते हैं मैं ही हूँ और मैं भी अपने माता-पिता का साथ छोड़ कर चली जाउंगी तो इनका ख्याल कौन रखेगा? मैं इन्हें छोड़कर नहीं जा सकता माफ कर दो। मुझे प्रभा तभी कहती है कि और आप चाहते हैं कि मैं अपने माँ-बाप को ऐसे हालात में छोड़ दूँ ईशान कहता है मनैं तुम्हे अपने फैसले लेने का अधिकार दिया हैं तमु जो भी फैसला करो मुझे मंज़ूर होगा मुझे अपने बच्चे से कोई दूर नहीं रख सकता।उसे मेरे साथ रखने का अधिकार दिया है मुझे मैं अपने बच्चे को साथ लेकर जरूर जाऊँगी तभी उसकी सास कहती है कि सरूज इस घर का वशं है,वह कहीं नहीं जाएगा तुझे जाना है तो तू जा नहीं जाना तो हमेशा के लिए अपने माँ बाप को भलू जा।तभी प्रभा ने फैसला लिया कि वह अपने माता-पि ता की देखभाल करेगी और उनके साथ रहेगी तभी प्रभा अपने माता-पि ता का हाथ पकड़कर जसै ही घर से निकलती है तो उसके ससरुाल वाले कहते हैं जा रही है तो जा हमेशा के लिए सारे रिश्ते तोड़कर जा तरेा ईशान और सरूज से कोई रिश्ता नहीं है। प्रभा अपने 6 साल के बेटेको देख कर रोते हुए चली जाती है।
25 साल साल बाद प्रभा एक ऊँचे पद पर कार्य करती है। उसके माँ-बाप अब नहीं रहे। एक दिन की बात है, एक सम्मेलन के दौरान प्रभा ईशान के कॉलेज जहाँ ईशान प्रोफेसर हैवहाँचीफ गेस्ट के रूप मेंआती हैं और उसका बेटा सरूज भी अब बड़ेपोस्ट पर रहता है। प्रभा अपने बेटे सरूज को देख भावकु हो उठती है अपने बच्चे को देखकर इतने सालों बाद वह अपनी ममता को जाहिर करने वाली होती है कि उसका बेटा उसे पहचानने से इंकार कर देता हैं। तभी प्रभा अपना टूटा दिल व आंसू रोकते हुए चुप हो जाती है और तरुंत ही घर वापस चली जाती है और सोचती हैं काश मनैं थोड़ी और कोशिश की होती है तो मेरा बेटा मेरे साथ होता। यह सोचते सोचते वह घर पहुँचती है और रोत-ेरोते सो जाती है।स्वरचित और मौलिक
शिक्षा :- समाज की सूक्ष्म सोच ने स्त्री के लिए हमेशा ही धर्म सकंट की स्थिति पैदा की है। वास्तव में एक नारी ही दसूरी नारी की उपेक्षा कर नारी को दुर्लभ बनाती है जसै कहानी में स्त्री सास के रूप में दसूरी स्त्री बहु के दुःख का कारण बनी। अगर एक नारी दसू री नारी को समझे तथा पति अपने माँ- पिता के समान पत्नी के माता-पि ता का सम्मान करेतो वास्तव मेंधरती ही स्वर्ग बन जाएगी
पिंकी देवांगन
जांजगीर (छत्तीसगढ़)