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जिंदगी एक रास्तों का जाल है,
कौन सा रास्ता किधर जाता है, यही तो सवाल है।
जो यह जानता है, वह मालामाल है,
सबके जीवन के उपर मंडरा रहा काल है,
सफर का अंतिम रास्ता जाएगा जिसके द्वार उसका नाम महाकाल है।
आदि भी वह है अंत भी वह है,
जिसका नाम महाकाल है।
बीच में बस रास्तों का जाल है।
यही रास्तों का जाल तो जीवन है।
धन-दौलत सब यहीं रह जाएंगे,
साथ में सिर्फ जीवन के अनुभव जाएंगे।
चित्रगुप्त के न्यायालय में यही अनुभव आपका जीवन कहलाएंगे।
चित्रगुप्त का तराजू धन नहीं तोलता,
वह तोलता सिर्फ मानव जीवन के अनुभव,
वहां सिर्फ जीवन संघर्ष बोलता है।
जीवन संघर्ष ही मनुष्य के राज खोलता है।
जिन रास्तों पर मानव का मन डोलता है,
विधाता मानव को उन्हीं रास्तों पर चलने को बोलता है।
रास्ते तो जीवन हैं,
चलना इन पर मानवता है।
हम हर रास्ते पर चलेंगे, जिस पर कभी नहीं चले।
आज चलेंगे, नहीं तो कल चलेंगे।

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