भीगे बादलों के तले
नीले आसमां के नीचे
किसी दरख़्त की छांव में
मैं तेरी और तू हो मेरी बाहों में
लेते आना बाग के सारे नीले पीले फूलों की खुशबू
प्रेम के जितने भी हैं उन उसूलों की खुशबू
मगर देर ना कर देना
कहीं ऐसा ना हो
जम जाए धूल वक्त के कांटों पर
फिर जिंदगी भी बोझ लगे जिंदगी के कांधों पर
कहीं ये सावन का महीना चला ना जाए
फिर पावन प्रेम मेरा तुझे मना ना पाए
इसलिए कहता हूं , सुनो
अब हमें और ना सताओ
जल्द ही मुझसे मिलने आओ
कहीं ऐसा ना हो बहता दरिया सूख जाए
मेरी जान, एक रोज तू मुझसे रूठ जाए
फिर लाज़िम होगा खतों का कागज होना
प्रेम में तेरे मेरा पागल होना
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