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बिखरे सपनों की परछाइयों में
गुमान का एक दरिया बहता है,
हर ख्वाब की जो डोर थी,
अब सिर्फ यादों में उलझी रहती है।

रात की तनहाईयों में खोई,
सन्नाटे का शोर सुनती हूँ,
दिल की गहराईयों में,
तेरी कमी को महसूस करती हूँ।

ग़म का सफ़र जो शुरू हुआ,
मंज़िल का अब कोई पता नहीं,
खुशियों की वो राहें,
कहीं खो गईं हैं बेवजह।

जिन लम्हों को मैंने जिया था,
वो अब बस किस्से बन गए,
तेरे बिना ये ज़िंदगी,
जैसे अधूरी सी लगती है।

चांदनी रातों में,
तेरी छाया को तलाशती हूँ,
तेरे बिना ये दिल,
हर पल बस तड़पती है।

उम्मीद की वो आखरी किरण,
कहीं धुंधली सी हो गई,
गुमान की इस गलियों में,
ज़िंदगी उलझी सी हो गई।

हर गीत में, हर धुन में,
तेरी यादों की मिठास है,
तू नहीं है फिर भी,
तेरे होने का एहसास है।

रहगुज़र में तेरा साथ,
अब भी ढूंढती हूँ,
तेरे बिना इस जहां में,
खुद को अकेला पाती हूँ।

गुमान की इस सूरत में,
इश्क का कोई रुखसार नहीं,
तेरे बगैर अब ये दिल,
किसी और का तलबगार नहीं |

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