उत्कृष्ट, उन्नत एवं अभिव्यक्ति है
प्रेम एक अविरल भक्ति है
विचारहीन शैली के वशीभूत होकर
अंग, प्रत्यंग को वासना युक्त किया
सरल, उत्तीर्ण एवं परिपक्वता से पूर्ण
प्रेम एक अद्वितीय शक्ति है
जिस प्रकार परोपकार की कोई थाह नहीं,
उसी तरह प्रेम की कोई रणनीति नहीं
श्वेत पीताम्बर जैसा मस्तिष्क उसका
तेजोमय दर्पण से भरा पदार्थ,
राधा-माधव के प्रीत से सींचा
योगी के तप से उद्धृत
निश्छल प्रीति है वो
हाड़,मांस एवं मजजां
प्रजनन का मार्ग नहीं है वो
सिम बायोटिक से बना पदार्थ
प्रेम अपरिभाषित है वो
तेजस्वी धर्मात्मा विचरण करती है जब
प्रेम के सत्व भाग से जा मिलती है तब
पूर्णांक वाक्य, पूर्ण लिपि है वो
पुर्ण में आसक्त शक्ति है वो।।
प्रेम by Gargi
उत्कृष्ट, उन्नत एवं अभिव्यक्ति है
प्रेम एक अविरल भक्ति है
