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इमरती ऊंची है,
पर उतनी नहीं है,
जितनी मेरी पतंग ने देखी है,
गेंद जितनी ऊंची फेंकी है। 

रफ्तार तेज है गाड़ियों की,
घंटे का सफर मिनट में,
मैंने दिनों का सफर किया तय,
अपनों के साथ वो गुजरता  समय।

लोगों की भीड़ है,
आसमान भी साफ नहीं,
फिर भी अकेला हूं यहां,
अकेले हो भी अकेला ना था वहां।

कीमतें तय है,
मशीन दुकान का मालिक है,
मूल भाव किस्से करूं,
बचे पैसे का क्या मिठाई लूं। 

फूल तो बहुत है,
सुगंध नहीं है कहीं भी,
जड़ें कैद है गमले की दीवारों में ,
और हम कल्पना और विचारों में।

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